मैं
यहाँ अपनी धृष्टता में,
शब्दों को उधेड़-बुनकर
सोच-वोच कर किसी तरह
कागज़ और कलम से
एक कविता उकेरने की कोशिश कर रही हूँ|
वो मकड़ी,
वहाँ अपनी धृष्टता में
जीवों की समीपता को देख-परखकर
थूक-वूक कर किसी तरह
ध्यान और लगन से
एक जाल बनाने की कोशिश कर रही है|
वो बालक
वहाँ अपनी धृष्टता में
सवाल की गंभीरता को जान कर
लिख-मिटा कर किसी तरह
प्रतिबद्धता और परिश्रम से
गणित के सवाल बनाने की कोशिश कर रहा है|
वो नदी
वहाँ अपनी धृष्टता में
पहाड़ की छाती को नाप-समझकर
बह -वह कर किसी तरह
हठ और बुलंदी से
एक रास्ता बनाने की कोशिश कर रही है|
वो तबायफ
वहाँ अपनी धृष्टता में
ग्राहकों की जेबें देख-भाँपकर
मटक -वटक कर किसी तरह
आधे-पौने मन से
अपना चूल्हा बनाने की कोशिश कर रही है|
हम सब,
अपनी-अपनी धृष्टता में
लिखते-मिटाते, बनते-बिगड़ते
लगे हुए हैं, सृजन मे
हम सब, कवि ही तो हैं|
यहाँ अपनी धृष्टता में,
शब्दों को उधेड़-बुनकर
सोच-वोच कर किसी तरह
कागज़ और कलम से
एक कविता उकेरने की कोशिश कर रही हूँ|
वो मकड़ी,
वहाँ अपनी धृष्टता में
जीवों की समीपता को देख-परखकर
थूक-वूक कर किसी तरह
ध्यान और लगन से
एक जाल बनाने की कोशिश कर रही है|
वो बालक
वहाँ अपनी धृष्टता में
सवाल की गंभीरता को जान कर
लिख-मिटा कर किसी तरह
प्रतिबद्धता और परिश्रम से
गणित के सवाल बनाने की कोशिश कर रहा है|
वो नदी
वहाँ अपनी धृष्टता में
पहाड़ की छाती को नाप-समझकर
बह -वह कर किसी तरह
हठ और बुलंदी से
एक रास्ता बनाने की कोशिश कर रही है|
वो तबायफ
वहाँ अपनी धृष्टता में
ग्राहकों की जेबें देख-भाँपकर
मटक -वटक कर किसी तरह
आधे-पौने मन से
अपना चूल्हा बनाने की कोशिश कर रही है|
हम सब,
अपनी-अपनी धृष्टता में
लिखते-मिटाते, बनते-बिगड़ते
लगे हुए हैं, सृजन मे
हम सब, कवि ही तो हैं|
Very nice...
ReplyDeleteWhere do u get such thoughts from ?
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