Tuesday 27 September 2016

आधा - पौना

सुबह - सुबह जब होश ने आकर नींद को अलविदा कहा, तो ज़हेन में एक ख्वाब चल रहा था, ख्वाब तो अधूरा ही रह गया, या शायद पौना हो चुका हो |

सोचा ख्वाब पूरा करें, नींद मे ना हो पाया तो हक़ीकत मे ही सही| पूरे दिन कोशिश की, जी- तोड़ | पर आधा-पौना ख्वाब, कभी हक़ीक़त मे पूरा हो सकता है? रात को फिर ज़हेन कुछ चलने लगा, यही उधड़ी सी आधी पौनी कविता :-


आधी - पौनी सी रात है,
आधा - पौना सा साथ है,
आधा - पौना सब इधर- उधर, आधी - पौनी सी बात है |

आधा - पौना सा वादा है,
जो खुद से अभी निभाना है,
आधी - पौनी सी बातें हैं, जो खुद से करते जाना है |

आधे - पौने से किस्से में,
इस जिंदगी को समाना है,
आधी - पौनी सी नींदों में, नये ख्वाबों को सजाना है |

आधा - पौना सा दर्द कोई,
इस दर्द में जलते जाना है,
आधी - पौनी सी खुशियों में, खिलखिलाहट को बसाना है |

आधे - पौने से सुर हैं काई,
आधे -पौने से बोल हैं,
आधा - पौना सब मिला-जुला, आधा - पौना एक गाना है |

 

पुनश्च : कविता भी आधी ही है, या शायद पौनी हो चुकी है

Thursday 22 September 2016

गोलगप्पा Stardom

भारत की अनेकता में एकता (Integrity in variety) का सबसे अद्वितीय उदाहरण है गोलगप्पा| यूँ तो भारत में व्यंजनो में इतनी विविधता दिखती है जीतने शायद हमारे सिर में बाल भी ना हो| पर गोलगप्पा एकमत्र ऐसी चीज़ है जो आपको भारत के किसी भी कोने किसी ना किसी नाम से मिल ही जाएगी|
अनेक नाम : 
पंजाब से निकल कर हरयाणा से दिल्ली की तरफ इसे गोलगप्पा कहा जाता है| फिर अचानक उत्तर प्रदेश मे घुसते ही इसका नाम में कुछ इस तरह का बदलाव आ जाता है - पानी के बताशे, पानी के पटाखे| 
नीचे बिहार और बंगाल की तरफ बढ़ेंगे तो फिर नाम में एक बड़ा बदलाव, - पुच्का |
उधर उड़ीसा और आंध्रप्रदेश की ओर बढ़ते हैं तो फिर गुपचुप | 
मध्य प्रदेश मे फुल्की | 
महाराष्ट्र और गुजरात मे फिर नाम में तब्दीली - पानी पूरी अथवा पकोड़ी|
दक्षिण भारत का तो मुझे अंदाज़ा ही नही है|
काम: 
पहले तो भक्षक को भिखारी बना के हाथ में कटोरी लेने पे मजबूर कर देना, तत्पश्चात उसके मूह के अंदर घुस के वैकल्पिक तरल पदार्थ का ऐसा विस्फोट करना जिसमे आत्मा तक स्नान कर के आनंदित हो जाए | और ग़लती से भी अगर तारू छिल जाए तो आनंद दुगना!